Thursday, March 20, 2008

होली के रंग मीडिया क्लब के संग

सहारनपुर में होली के रंग मीडिया क्लब के संग।
सहारनपुर में पत्रकारों ने मनाई फूलों व सब्जियों से होली।
होली की मस्ती में झूमें नेता , अधिकारी व पत्रकार।




होली के रंग मीडिया क्लब के संग

सहारनपुर में होली के रंग मीडिया क्लब के संग।

सहारनपुर में पत्रकारों ने मनाई फूलों व सब्जियों से होली।

होली की मस्ती में झूमें नेता , अधिकारी व पत्रकार।



होली के रंग मीडिया क्लब के संग






सहारनपुर में होली के रंग मीडिया क्लब के संग।
सहारनपुर में पत्रकारों ने मनाई फूलों व सब्जियों से होली।
होली की मस्ती में झूमें नेता , अधिकारी व पत्रकार।

Wednesday, November 21, 2007

Tum jo hoti.................


Tuesday, November 20, 2007

ब्रेकिंग न्यूज़ - कभी फोनो, कभी लाईव

उपहार सिनेमा अग्निकाण्ड़ पर आज फैसला आना था। हम सभी सुबह करीब दस बजे से अदालत के बाहर डेरा डाले हुये थे। आज बड़ी संख्या मे इतने सारे कैमरा और मीड़िया वाले एक साथ नज़र आ रहे थे। वहां से आने-जाने वाले हर शक्स की आँखें एक ही सवाल कर रही थी कि यहां क्या हो रहा है? कोई कोई कह रहा था कि शायद किसी फिल्मी हस्ती की आमद होगी तो किसी का अन्दाज़ा था कि कोई भाई अदालत मे हाजरी के लिये आ रहा है। खैर जितने लोग उतनी बातें।
अदालत परिसर के बाहर एक लाईन मे सभी कैमरावालों के ट्राईपोड़ लगाये गये थे। कई चैनलस् ने एक नही चार-चार संवाददाता और दो-दो ओबी कवरेज के लिये अदालत भेजी थी। वही पुराना मकसद ख़बर को सबसे पहले ब्रेक करना। अदालत मे लोगों की भीड़ बढती जा रही थी, आरोपी और वादी भी अदालत मे आ गये थे। और लगभग ड़ेढ घण्टे बाद वो लम्हा आ ही गया। दस साल के लम्बे इन्तज़ार के बाद उपहार सिनेमा अग्नि काण्ड मे आखिरकार फैसला आ गया। खचाखच भरी अदालत मे जज साहब ने इस मामले के एक दर्जन आरोपियों को दोषी करार दिया।
अदालत का फैंसला आते ही हम और हमारे मीड़िया के सभी साथी एक्टिव हो गये। ख़बर मिलते ही शुरु हुआ लाईव देने का सिलसिला। हम और हमारे सारे साथी एक दम व्यस्त हो गये। फिर शुरु हुआ पीड़ितों के परिवार वालों की बाइट लेने का दौर। सारे मीड़िया वाले पीड़ितों के घर वालों को इधर से उधर खींच रहे थे। मारा-मारी का माहौल था। लाईव पर लाईव चल रहा था। फोन की रिंग रुकने का नाम नही ले रही थी। कभी फोनो-कभी लाईव। कुछ लोग बाकायदा टीवी पर बाइट देने के लिये तैयार होकर आये थे। ये सजे संवरे लोग वकीलों के साथ ही मीड़िया के आस-पास घूमते नज़र आ रहे थे।
इन सब बातों के बाद सबसे अहम बात ये थी कि इस फैसले से पीड़ितों के परिजन पूरी तरह सन्तुष्ट नही थे। अधिकांश लोग इस बात से हैरान थे कि दस लोगों को आईपीसी की धारा 304 के तहत मुजरिम करार दिया गया लेकिन दो मुख्य आरोपियों को 304ए के तहत मुजरिम करार दिया गया। अब पीड़ित और उनके वकील इस मामले को लेकर हाईकोर्ट जाने की बात कर रहे है। कुछ लोगों का कहना है इस मामले मे अभी तो दस साल लगे है। लेकिन हम न्याय पाने के लिये आगे भी कई साल लड़ने के लिये तैयार है।
फैसला आने के बाद करीब तीन घण्टे हम लोग सिर्फ बाइट और लाईव के चक्कर मे लगे रहे। मामला शान्त हुआ और सभी लोगों ने अपना सामान समेटना शुरु किया। काम खत्म होने के बाद सभी को थोड़ी राहत महसूस हुई।

परवेज़ सागर

Sunday, November 18, 2007

नीरज के परिवार को आर्थिक सहायता नही आपका प्यार चाहिऐ

नीरज कि आकस्मिक मौत का समाचार जिसे भी मिला भरोसा नही हुआ । भड़ास परिवार से इस शोक संत्राप्त परिवार को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने पर विचार हुआ , यह बहुत अच्छी सोच व पहल है । यशवंत भाई आपने इस बारे में सोचा और शुरुआत कि अच्छा लगा ।


भड़ास पर पढ़ने के बाद मेने नीरज के परिवार से इस विषय में बात कि तो उन्होने कहा कि वह उन सभी लोगो का धन्यवाद करते है जिन्होंने इस विषय में सोचा , उन्होने कहा कि उन्हें आर्थिक सहायता कि नही उन्हें सिर्फ दुआओं कि आवश्यकता है।
यशवंत भाई मैं आपके विचारों कि क़द्र करता हूँ और आपसे अनुरोध करता हूँ कि जो सिलसिला नीरज भाई के नाम से शुरू हुआ है, उसे नीरज कोष का नाम देते हुए यह राशी किसी जरूरतमंद कि सहायता में लगा दें। यही नीरज को हम सभी कि और से सच्ची श्रधांजलि होगी। मेरी और से भी नीरज कोष के जरिये किसी गरीब कि मदद के लिए १००० रूपये किस अकाउंट में जमा करने है बता दीजयेगा ।

मेरा मोबाइल नम्बर है 9412232433
यशवंत भाई भड़ास पर जहाँ भी नीरज के परिवार कि आर्थिक सहायता के विषय में लिखा है वह कृपया कर हटा दें। यह उसके परिवार वालों कि इच्छा है।

Thursday, October 11, 2007

आपको बधाई

प्रिय अनिल भाई आपको पोस्टमार्टम के लिये बधाई। उम्मीद है कि आप खबरों के साथ-साथ पोस्ट ना करने वालों का भी पोस्टमार्टम करेंगें।

परवेज़ सागर

Bahut suna suna lagta hai tere bin,
Kya mere raat aur kya mere din
Harpal rehta hun main bekaraar
Kya patjhad aur kya bahaar।
Ankhon ke asun sukh hain
Par dil ab bhi rota hai,
Jabse kismat badli hai apni
Na jagta hai na sota hai।
Bas mein nahi hai ab mere Is tute dil ko samh

Thursday, September 6, 2007


The Best way to Escape from a Problem is to Solve it"


To realize
The value of four years:
Ask a graduate.


To realize
The value of one year:
Ask a student who
Has failed a final exam..!

To realize
The value of nine months:
Ask a mother who gave birth to a stillborn.


To realize
The value of one month:
Ask a mother
who has given birth to
A premature baby.


To realize
The value of one week:
Ask an editor of a weekly newspaper.

To realize
The value of one minute:
Ask a person
Who has missed the train, bus or plane.


To realize
The value of one-second:
Ask a person
Who has survived an accident.


Time waits for no one.