सहारनपुर में पत्रकारों ने मनाई फूलों व सब्जियों से होली।
होली की मस्ती में झूमें नेता , अधिकारी व पत्रकार।
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प्रस्तुतकर्ता Anil Bhardwaj पर 3/20/2008 02:25:00 PM 0 टिप्पणियाँ
सहारनपुर में होली के रंग मीडिया क्लब के संग।
सहारनपुर में पत्रकारों ने मनाई फूलों व सब्जियों से होली।
होली की मस्ती में झूमें नेता , अधिकारी व पत्रकार।
प्रस्तुतकर्ता Anil Bhardwaj पर 3/20/2008 02:25:00 PM 0 टिप्पणियाँ
प्रस्तुतकर्ता Anil Bhardwaj पर 3/20/2008 02:25:00 PM 0 टिप्पणियाँ
उपहार सिनेमा अग्निकाण्ड़ पर आज फैसला आना था। हम सभी सुबह करीब दस बजे से अदालत के बाहर डेरा डाले हुये थे। आज बड़ी संख्या मे इतने सारे कैमरा और मीड़िया वाले एक साथ नज़र आ रहे थे। वहां से आने-जाने वाले हर शक्स की आँखें एक ही सवाल कर रही थी कि यहां क्या हो रहा है? कोई कोई कह रहा था कि शायद किसी फिल्मी हस्ती की आमद होगी तो किसी का अन्दाज़ा था कि कोई भाई अदालत मे हाजरी के लिये आ रहा है। खैर जितने लोग उतनी बातें।
अदालत परिसर के बाहर एक लाईन मे सभी कैमरावालों के ट्राईपोड़ लगाये गये थे। कई चैनलस् ने एक नही चार-चार संवाददाता और दो-दो ओबी कवरेज के लिये अदालत भेजी थी। वही पुराना मकसद ख़बर को सबसे पहले ब्रेक करना। अदालत मे लोगों की भीड़ बढती जा रही थी, आरोपी और वादी भी अदालत मे आ गये थे। और लगभग ड़ेढ घण्टे बाद वो लम्हा आ ही गया। दस साल के लम्बे इन्तज़ार के बाद उपहार सिनेमा अग्नि काण्ड मे आखिरकार फैसला आ गया। खचाखच भरी अदालत मे जज साहब ने इस मामले के एक दर्जन आरोपियों को दोषी करार दिया।
अदालत का फैंसला आते ही हम और हमारे मीड़िया के सभी साथी एक्टिव हो गये। ख़बर मिलते ही शुरु हुआ लाईव देने का सिलसिला। हम और हमारे सारे साथी एक दम व्यस्त हो गये। फिर शुरु हुआ पीड़ितों के परिवार वालों की बाइट लेने का दौर। सारे मीड़िया वाले पीड़ितों के घर वालों को इधर से उधर खींच रहे थे। मारा-मारी का माहौल था। लाईव पर लाईव चल रहा था। फोन की रिंग रुकने का नाम नही ले रही थी। कभी फोनो-कभी लाईव। कुछ लोग बाकायदा टीवी पर बाइट देने के लिये तैयार होकर आये थे। ये सजे संवरे लोग वकीलों के साथ ही मीड़िया के आस-पास घूमते नज़र आ रहे थे।
इन सब बातों के बाद सबसे अहम बात ये थी कि इस फैसले से पीड़ितों के परिजन पूरी तरह सन्तुष्ट नही थे। अधिकांश लोग इस बात से हैरान थे कि दस लोगों को आईपीसी की धारा 304 के तहत मुजरिम करार दिया गया लेकिन दो मुख्य आरोपियों को 304ए के तहत मुजरिम करार दिया गया। अब पीड़ित और उनके वकील इस मामले को लेकर हाईकोर्ट जाने की बात कर रहे है। कुछ लोगों का कहना है इस मामले मे अभी तो दस साल लगे है। लेकिन हम न्याय पाने के लिये आगे भी कई साल लड़ने के लिये तैयार है।
फैसला आने के बाद करीब तीन घण्टे हम लोग सिर्फ बाइट और लाईव के चक्कर मे लगे रहे। मामला शान्त हुआ और सभी लोगों ने अपना सामान समेटना शुरु किया। काम खत्म होने के बाद सभी को थोड़ी राहत महसूस हुई।
परवेज़ सागर
प्रस्तुतकर्ता Parvez Sagar पर 11/20/2007 06:24:00 PM 0 टिप्पणियाँ
लेबल: हमारे काम
प्रस्तुतकर्ता Anil Bhardwaj पर 11/18/2007 08:16:00 PM 0 टिप्पणियाँ
प्रिय अनिल भाई आपको पोस्टमार्टम के लिये बधाई। उम्मीद है कि आप खबरों के साथ-साथ पोस्ट ना करने वालों का भी पोस्टमार्टम करेंगें।
परवेज़ सागर
प्रस्तुतकर्ता Parvez Sagar पर 10/11/2007 04:00:00 PM 0 टिप्पणियाँ
प्रस्तुतकर्ता Anil Bhardwaj पर 10/11/2007 03:52:00 PM 0 टिप्पणियाँ
प्रस्तुतकर्ता Anil Bhardwaj पर 9/06/2007 04:03:00 PM 0 टिप्पणियाँ
प्रस्तुतकर्ता Anil Bhardwaj पर 9/06/2007 03:00:00 PM 0 टिप्पणियाँ